अमरीकी वाणिज्य मंत्रालय ने भारत में आर्थिक सुधार की धीमी रफ़्तार पर चिंता और निराशा ज़ाहिर की है.
भारत-अमरीका
रणनीतिक और वाणिज्य साझेदारी को गति देने के लिए वाशिंगटन में सोमवार से
शुरू हुई दो दिवसीय बैठक में भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और वाणिज्य
राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण भाग ले रही हैं.एक जाने माने थिंकटैंक, कार्नेगी एनडाओमेंट, में बोलते हुए अमरीकी वाणिज्य मंत्री पेनी प्रिज़कर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने कई अच्छे कदम उठाए हैं लेकिन अभी भी भारत अमरीका का ग्यारहवां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है.
उन्होंने कहा ये बाद दशकों से कही जा रही है लेकिन आज जो दुनिया का आर्थिक माहौल है उसमें दोनों ही देशों मे से कोई भी अपनी क्षमता से कहीं नीचे चल रहे इस प्रदर्शन का बोझ नहीं संभाल सकता.
लाल फ़ीताशाही
अमरीकी उद्योग जगत का कहना है कि भारत में बिज़नेस करना अभी भी बेहद मुश्किल है और लाल फ़ीताशाही में कुछ ख़ास बदलाव नहीं नज़र आ रहा है.अमरीकी वाणिज्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने एलान किया है कि वो भारत को आसानी से बिज़नेस करनेवाले देशों की सूची के पहले 50 देशों में ले आएंगे लेकिन उसके लिए अभी लंबी दूरी तय करने की ज़रूरत होगी.
वाणिज्य मंत्री प्रिज़कर का कहना था कि अनुबंधों को लागू करने की आसानी के मापदंड पर भारत 189 देशों की सूची में 186वें नंबर पर है.
उन्होंने कहा कि दो दिनों की इस बातचीत में इस पहलू पर ख़ासतौर से बात होगी और अमरीका इस क्षेत्र में अपने अनुभव और कांट्रैक्ट्स को समय सीमा के अंदर लागू करने की तकनीक को भारत के साथ बांटेगा.
उच्चस्तरीय समिति
भारतीय वाणिज्य राज्यमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की अर्थव्यवस्था की ख़ूबियों का ज़िक्र किया, उर्जा के क्षेत्र में मिली सफलताओं का ज़िक्र किया और साथ ही कहा कि व्यापार के लिए सही माहौल बने उसके लिए एक उच्चस्तरीय समिति बनाई गई है.उनका कहना था, “ये कमिटी पुराने बेतुके क़ानूनों की समीक्षा कर रही है और साथ ही उन क़ानूनों को भी देख रही है जो बिज़नेस के लिए नुकसानदेह हैं.”
उद्दोगपति डेविड कोट का कहना था कि भारत में जो नौकरशाही है उसके रहते हुए कुछ भी करना असंभव सा लगता है.
उनका कहना था, “ऐसा लगता है जैसे भारत ने ब्रिटेन से नौकरशाही ले ही, उसे दोगुना कर दिया और उसमें दस गुना लोग जोड़ दिया. अगर वहां कुछ करना है तो नौकरशाही को अपनी स्पीड बढ़ानी होगी और बिज़नेस को मदद करने का माहौल बनाना होगा.”
मेक इन इंडिया की धीमी रफ़्तार
भारत-अमरीकी वाणिज्य रिश्तों पर नज़र रखनेवाले विशेषत्रों का कहना है कि चीन की अर्थव्यवस्था अभी ढलान पर है, चीन के बारे में अमरीका में एक नकारात्मक और कड़वाहट भरा माहौल है और भारत को इसका फ़ायदा उठाना चाहिए.विषलेषकों का कहना है कि मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसे नारों से प्रधानमंत्री ने एक राजनीतिक जोश ज़रूर पैदा किया है लेकिन उसे लागू करने की रफ़्तार इतनी धीमी है कि बहुत लोग अभी से उसकी तुलना मनमोहन सिंह सरकार की दूसरी पारी से करने लगे हैं.
#Corruption main without money nothing to do.Gov servant believe that he was king.
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